वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने मंगलवार को दिल्ली में कहा कि यद्यपि भारतीय वायुसेना भविष्य के लिए एलसीए एमके2 और एएमसीए पर निर्भर है, लेकिन वर्तमान क्षमता अंतर को पाटने के प्रयास किए जा रहे हैं, क्योंकि इसमें समय लगेगा।
उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि भविष्य के युद्धों में जीत के लिए स्वदेशीकरण ही एकमात्र रास्ता है।
नई दिल्ली में फिक्की द्वारा आयोजित एयरो टेक इंडिया 2025 को संबोधित करते हुए, श्री भारती ने निर्धारित समय-सीमा के भीतर उत्पादन बढ़ाने के लिए 100 प्रतिशत स्वदेशीकरण की सिफ़ारिश की।
उन्होंने भविष्य की संघर्ष आवश्यकताओं के लिए एक विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की और इस बात पर ज़ोर दिया कि युद्ध तेज़ नवाचार, एकीकरण और आत्मनिर्भरता से जीते जाएँगे।
उन्होंने निर्माताओं से सुरक्षित संचार के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग, हाइपरसोनिक मिसाइलों के लिए स्क्रैमजेट इंजन और लड़ाकू विमानों तथा परिवहन विमानों के लिए कोर एयरो इंजन तकनीकों में निवेश करने का भी आग्रह किया।
भारत ने पिछले शुक्रवार को सोवियत काल के अपने आखिरी मिग-21 लड़ाकू विमान बेड़े को सेवानिवृत्त कर दिया। इस तरह, छह दशकों से भी ज़्यादा समय से सेवा दे रहे इस विमान को कभी अपनी युद्धक क्षमता के लिए सराहा जाता था, लेकिन बाद में लगातार दुर्घटनाओं के कारण इसे "उड़ता ताबूत" कहा जाने लगा।
इस चरणबद्ध तरीके से विमानों को हटाने से भारतीय वायुसेना के लिए अपने हवाई बेड़े का विस्तार और आधुनिकीकरण करने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है ताकि अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी चीन और पाकिस्तान से दो मोर्चों पर संभावित खतरों का मुकाबला किया जा सके।