एक अधिकारी ने बताया कि कुल प्रजनन दर में कमी के कारण भारत की जनसंख्या 2080 तक 1.8 या 1.9 अरब पर स्थिर हो जाने की संभावना है, जो अभी प्रतिस्थापन स्तर 1.9 से नीचे है। भारत में जनसांख्यिकीय परिवर्तन तेज़ी से हो रहा है और पिछले दो दशकों में जन्म दर में काफ़ी गिरावट आई है।
भारतीय जनसंख्या अध्ययन संघ (IASP) के महासचिव अनिल चंद्रन ने पीटीआई-भाषा को बताया, "2000 में, हमारी कुल प्रजनन दर 3.5 थी और आज यह 1.9 है। यह एक बड़ी गिरावट है।"
उन्होंने कहा कि 2080 तक भारत की जनसंख्या 1.8 या 1.9 अरब के शिखर पर पहुँचने की उम्मीद है, जब विकास दर स्थिर होने की उम्मीद है।
श्री चंद्रन ने आगे कहा, "सभी अनुमान बताते हैं कि भारत की अधिकतम जनसंख्या दो अरब से कम ही रहेगी।"
उन्होंने प्रजनन दर में गिरावट का मुख्य कारण बढ़ते विकास और शिक्षा के स्तर को बताया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की साक्षरता में वृद्धि ने विवाह और बच्चे पैदा करने से जुड़े फैसलों को सीधे तौर पर प्रभावित किया है, जिससे परिवार छोटे हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देर से होने वाली शादियों और बढ़ते आर्थिक अवसरों - विशेष रूप से करियर बनाने वाली महिलाओं के लिए - ने भी प्रजनन विकल्पों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है।












